हेलों दोस्तों,
कैसे हो ?
Dictation 100 WPM Hindi |
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अध्यक्ष महोदय, शिक्षा के माध्यम के सम्बन्ध में इस सदन में कई सदस्यों ने अपने विचार रखे हैं। सबसे पहले मैं अध्यक्ष महोदय तथा/सदन का ध्यान इस बात की ओर दिलाना चाहता हूँ कि शिक्षा कई माध्यमों के द्वारा दी जा सकती है। जितनी विचारधाराएँ के//माध्यम के सम्बन्ध में हैं, चाहे प्रकृति का सौंदर्य हो, चाहे ललित कला हो, चाहे खेलकूद हो, चाहे श्रम हो और चाहे भाषा हो,///उन सभी माध्यमों का इस्तेमाल करके हमें अपने विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करनी चाहिए जिससे उनके व्यक्तित्व का चहुँमुखी विकास (1) हो सके। इन सब माध्यमों में भाषा का भी अपना एक महत्व है। लेकिन अफसोस है कि आजकल हम केवल भाषा को ही शिक्षा/ का माध्यम बनाकर चले जिसका नतीजा यह हआ कि केवल किताबी शिक्षा ही हम अपने बच्चों को दे पाये और केवल किताबी शिक्षा// से न उनके व्यक्तित्व का ही सम्पूर्ण विकास हो पाता है और न हम अपनी शिक्षा को ही अच्छे स्तर पर ले जा सकते///हैं। इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि भाषा के अलावा अन्य जितने माध्यम शिक्षा के हैं उन सब माध्यमों को हमारी शिक्षा प्रणाली (2) में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।जहाँ तक भाषा का प्रश्न है दुनिया के सारे शिक्षा शास्त्री और हमारे कमीशन में भी जो शिक्षा शास्त्री थे/उनकी भी यही राय थी कि शिक्षा का माध्यम अगर कोई भाषा हो सकती है तो वह मातृभाषा हो सकती है। मातृभाषा//के अतिरिक्त अगर अन्य किसी भाषा में शिक्षा दी जाती है तो वह शिक्षा अच्छी नहीं कही जा सकती। उसमें बच्चों की शक्ति की///बहुत हानि होती है। जो शिक्षा हम मातृभाषा के माध्यम से पाँच साल में दे सकते हैं वह दूसरी भाषा के माध्यम से हम (3) पंद्रह साल में भी नहीं दे सकते। यदि यह बच्चे की मातृभाषा नहीं है तो उस भाषा में शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चे/को बहुत अधिक अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी तथा अधिक समय भी देना पड़ेगा जबकि मातृभाषा के माध्यम से वह बहुत कम समय में//और बहुत कम मेहनत से शिक्षा प्राप्त कर सकता है। इसलिए आज जो लोग कहते हैं कि शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रखा जाय वह///देश की शिक्षा के बहुत बड़े दुश्मन हैं, क्योंकि मातृभाषा को छोड़कर अगर अंग्रेजी में शिक्षा दी जाती है तो शिक्षा का (4) कभी भी विकास नहीं हो सकता। यदि हम चाहते हैं कि देश के करोड़ों बच्चों को देश के कोने-कोने में शिक्षा दी जाये तो/केवल मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाना होगा।हमारे कुछ दक्षिण के भाई हिन्दी से नाराज हैं लेकिन अंग्रेजी से उनका माह हमारी//समझ में नहीं आता। अंग्रेजी से मोह केवल कुछ लोगों को ही है सारे दक्षिण भारत के लोगों को अंग्रेजी से मोह नहीं है। अंग्रेजी///से मोह केवल उन्हीं लोगों को है जिन्होंने बहुत पहले अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की थी और जो आज हमारी सरकारी सेवाओं में ऊँचे पदों पर हैं।
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