हेलों दोस्तों,
कैसे हो ?
Dictation 100 WPM Hindi |
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अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय शिक्षा तथा अन्य भाषाओं के प्रश्नों पर में इस समय चर्चा नहीं करना चाहता। इन दोनों विषयों पर चर्चा भाषा विधेयक के आने पर की जाएगी। इस समय में यह चाहता हूँ कि पहले इस बात पर विचार करें कि शिक्षा का माध्यम कौन सी भाषा हो। मेरे विचार में शिक्षा के हित में इस बात की अत्यन्त आवश्यकता है कि अपने देश में मातृभाषा को या जिसको हम अपने देश की राष्ट्रभाषा कहते हैं उसको शिक्षा का माध्यम बनाये जाये उच्चतम शिक्षा का माध्यम भी मातृभाषा होनी चाहिए। इसमें पाठ्य पुस्तकों सकती है। लेकिन यह कहना कि जब तक पाठ्य पुस्तकें न बन जाएँ तब तक मातृभाषा को शिक्षा /माध्यम न बनाया जाये। यह गलत तर्क होगा। यह तर्क अपनाया गया तो हम कभी भी मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम नहीं बना पायेंगे यह तो वही बात हुई कि जब तक मैं तैरना नही सीख लूंगा तब तक पानी में पैर नहीं रखूंगा। इस तरह तो मैं समझता हूँ कि कभी तैरना नहीं सीखा जा सकता। इसलिए किसी तरह एक बार पानी में कूद जाये एक बार यह फैसला ले लें कि मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया जाएगा और तत्काल यह फैसला लेकर शिक्षा शास्त्रियों से कहा जाये कि वे तेजी से पाठ्य-पुस्तके तैयार करें/या उसका अनुवाद करें। विज्ञान की शिक्षा के बारे में कहा जाता है कि विज्ञान की पढ़ाई का माध्यम मातृभाषा में होने से बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। मैं इस बात को नहीं मानता। मैं तो यह क मातृभाषा में विज्ञान की शिक्षा देना सबसे आसान है। समाज शास्त्र की शिक्षा को मातृभाषा के माध्यम से सिखाने में शायद कुछ समय लगे, उसकी पाठ्य पुस्तकें बनने मे शायद कुछ समय लगे। लेकिन विज्ञान की पढ़ाई के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। विज्ञान के फार्मूले ज्यो के त्यों रखे जा सकते हैं, विज्ञान की शब्दावली को भी ज्यों का त्यों रखा जा सकता है केवल उन्हें मातृभाषा में समझाना है। इसलिए विज्ञान की पुस्तकें और विज्ञान की शिक्षा के लिए मातृभाषा को माध्यम बनाने में कोई समय लगने वाला नहीं हैं चूंकि हम अपनी शिक्षा नीति में सबसे अधिक जोर विज्ञान पर देने वाले हैं इसलिए मैं समझता हूँ कि यह सबसे अच्छा कार्य होगा यदि हम मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्वीकार कर लें। अध्यक्ष महोदय, हमारे शिक्षा आयोग की रिपोर्ट में एक बात और बहुत अच्छी कही गई है और वह यह है कि हमें अपनी शिक्षा में विज्ञान को अधिक महत्व देना होगा। आज की दुनिया में यदि हम तेजी से प्रगति करना चाहते हैं तो इसमें कोई शक नहीं है कि विज्ञान की शिक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया जाना चाहिए। लेकिन इसके साथ-साथ श्रीमान, मैं यह भी निवेदन करना चाहूँगा कि विज्ञान की शिक्षा के साथ-साथ हमें अपने बच्चों की अन्य काही विषयों की शिक्षा पर भी महत्व देना चाहिए।
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