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Tally Prime kya hai ? Introduction of Tally Prime in Hindi

Tally Prime kya hai ? Introduction of Tally Prime in Hindi

दोस्‍तों ! आपने Tally Prime (टैली प्राइम) का सॉफ्टवेयर का नाम कही न कही पर सुना तो जरूर होगा, और आपके दिमाग में एक Question (प्रश्‍न) जरूर आया होगा कि आखिर Tally Prime (टैली प्राइम) क्‍या है ? आज के इस आर्टिकल में सभी सवालों का जवाब देने वाला हूँ- Tally Pirme Kya Hai? What is Tally Prime? Tally Prime kitne din Course Hai? Tally Prime seekhne ke Kya fayde Hai? Tally Prime course job opportunities? TallyPrime jobs from home? Jobs for tally erp 9 fresher’s? Tally government job? टैली एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है, इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग भारत में अधिकतर कंपनियों में किया जाता है, इसलिए यदि आप एकाउंटिंग के क्षेत्र में जॉब प्राप्‍त करना चाहते हो, तो आपको Tally(टैली) की जानकारी होना अति आवश्‍यक है। किसी भी व्‍यवसाय में Accounting (एकाउंटिंग) बहुत ही अहम कार्य है, क्‍योंकि इसी के आधार पर व्‍यवसाय के लाभ-हानि के बारे में जानकारी प्राप्‍त होती है।


Tally Prime kya hai ?

Tally Prime का परिचय (Introduction of Tally Prime)

किसी भी बिज़नेस को ठीक ढंग से चलाने के लिए, उससे लाभ कमाने के लिए यह आवश्‍यक है कि हम सही तरीके से उसका हिसाब-किताब रखें। पहले यह कार्य पूरी तरह से मैन्‍युअल होता था, वर्तमान में अकाउंटिंग से संबंधित पूरा कार्य कम्‍प्‍यूटर की सहायता से हो रहा है।

कप्‍यूटर पर अकाउंटिंग करने के लिए हमें अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मदद लेना होती है। Tally ERP 9 और Tally Prime Updated Version उसी प्रकार का एक सॉफ्टवेयर है। Tally Prime अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको एक नया Look और कुछ Additional नए Features Introduced किया है। Tally Prime अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की सबसे खास बात यह है कि इस पर काम करना बहुत ही आसान है। Tally Solution Company ने टैली प्राइम (Tally Prime) को 9th November 2020 को जारी किया है| जिसे आप Tally Solution Company की Official वेबसाइट www.tallysolutions.com से डाउनलोड कर सकते है।

Tally Prime में आपको Additional Features जैसे- Go To और Switch To, Change view, Basis of Values

Go To और Switch To- इसकी मदद से आप प्रोडक्‍ट में मौजूद जो भी चीज चाहें, उसे आसानी से खोज सकते हैं और अपने बिज़नेस के बेहतर संचालन के लिए किसी भी रिपोर्ट को देख सके हैं। यह आपको मल्‍टी-टास्किंग में मदद करता है, इसकी मदद से आप जब चाहें अपने एक काम को बीच में छोड़कर दूसरी रिपोर्ट पर जा सकते है। और आपको अपना काम खाने की चिंता बिल्‍कुल नहीं सताएगी।

Change view- Change view आपको एक ही रिपोर्ट को बेहतर तीरके से देखने के लिए वैकल्पिक व्‍यू का सुझाव देता है। आप अपने सेल्‍स रजिस्‍टर में पिछले 15 दिन की सेल पर नज़र डालना चाहते है या आईटम-वाइज़ स्‍टॉक समरी देखना चाहते हैं? Change View आपको लिए निश्चित रूप से फायदेमंद साबिज होगा।

Basis of Values - Basic of Values रिपोर्ट के पैरामीटर्स को बदलकर अगल नज़रिए से इसे देखने में मदद करता है। आप अपनी आउटस्‍टैंडिंग रिपोर्ट में ओवरड्यू बिल देखना चाहते हो या बैलेंस शीट देखते समय अपनी वर्किंग कैपिटल देखना चाहते है? Basis Values आपके लिए निश्चित रूप से फायदेमंद होगा।

Exception Reports - रिपोर्ट के उस डेटा को हाइलाईट करती है, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए। आप नेगेटिव बैलेंस से आउट स्‍टॉक आइटम फिल्‍टर करना चाहते हैं या अपनी Daybook में से पोस्‍ट-डेटेड ट्रांजैक्‍शन फिल्‍टर करना चाहते हैं। Exception Reports आपके लिए निश्चित रूप से फायदेमंद होंगी।

टैली का इतिहास (History of Tally in Hindi)

Tally का निर्माण भारत के बैंगलोर स्थित कंपनी में किया गया है. लेकिन Tally Solution कंपनी को पहले Peutronics के नाम से जाना जाता था. सन 1986 में श्याम सुन्दर गोयनका और उनके बेटे भारत गोयनका ने मिलकर बनाया था. उस वक़्त श्याम सुन्दर गोयनका एक कंपनी चलाया करते थे जिससे की दूसरे प्लांट्स और टेक्सटाइल मिल्स को कच्चा माल और मशीन पार्ट्स सप्लाई करते थे. तो इस बिज़नेस को मैनेज करने के लिए उनके पास कोई ऐसा सॉफ्टवेयर नहीं था जिससे वो अपना हिसाब किताब आसानी से कर सके।

तब उन्होंने अपने बेटे से कहा की एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाओ जिससे हम अपने बिज़नेस को आसानी से मैनेज कर सके. भारत गोयनका जो की मैथमेटिक्स में ग्रेजुएट थे उन्होंने अकॉऊंटिंग एप्लीकेशन के लिए सबसे पहला संस्करण MS–DOS एप्लीकेशन के रूप में लांच किया. इस में सिर्फ बेसिक अकॉउंटिंग फंक्शन थे. जिसका नाम Peutronics financial Accountant रखा गया। 1988 में इस प्रोडक्ट का नाम बदलकर पहली बार Tally रखा गया। वर्तमान में टैली प्राइम (Tally Prime) को 9th November 2020 को जारी किया है।

Tally Prime सिखाने का आधार (Basis of Teaching Tally Prime)

Tally Prime सिखाने का आधार है Simplicity यानी सरलता, जो चीज़े सरल हैं वे पहले सीखें और फिर धीरे-धीरे कठिन की ओर आगे बढ़ा जाए। जिसमें कठिनाइयाँ या Complexity ज्‍यादा न हो। Tally Prime कॉमर्स बैकग्राउंट या बिना कॉमर्स बैकग्राउंड वाले सभी व्‍यक्ति भी सिखा सकते है। ऐसे लोग जो बहुत ज्‍यादा पढ़ाई नहीं कर पाए हैं, वे भी अगर कम्‍प्‍यूटर अकाउंटिंग सीख लेते हैं तो Tally Prime अकाउंटिंग Software पर कार्य कर सकते है। इस प्रकार से Tally Prime उनको रोज़गार प्राप्‍त करने में सहायता प्रदान कर सकता है।

Accounting क्‍या है?

किसी व्‍यापार या व्‍यवसाय के वित्‍तीय (Financial) लेन-देन का लिपिबद्ध रिकॉर्ड रखने, उसका वर्गीकरण करने, सारांश प्रस्‍तुत करने, उसका विवरण तैयार करने तथा उनका विश्‍लेषण करने की कला को ही अकाउंटिंग कहते हैं।

एकाउंटिंग दो प्रकार की होती है-

1. मेन्यूल एकाउंटिंग (Manual Accounting)

2. कंप्यूटर एकाउंटिंग (Computer Accounting)

Manual Accounting का अर्थ हाथों से रजिस्टर पर एंट्री करना जबकि Computer Accounting का अर्थ कम्‍प्‍यूटर पर एकाउंटिंग या एंट्री करना। वर्तमान में Tally Prime एकाउंटिंग सॉफ्टवेर का Latest Version है इसके अलावा TALLY ERP9, MARG, QUICKBOOKS, M-PROFIT, BUSY, etc. एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है। Tally भारत देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है।

अकाउंटिंग से संबंधित शब्‍दों की परिभाषा-


व्‍यापार- लाभ कमाने के उद्देश्‍य से किया गया वस्‍तुओं का क्रय-विक्रय व्‍यापार कहलाता है।

पेशा- आय अर्जित करने के लिए किया गया कोई भी कार्य या कोई भी साधन जिसके लिए पूर्व प्रशिक्षण की आवश्‍यकता होती है पेशा कहलता है। डॉक्‍टर, वकील, शिक्षक, इंजीनियर आदि द्वारा किए गए कार्य पेशा कहलाते हैं।

व्‍यवसाय- ऐसा कोई भी वैधानिक काम जो आय या लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से किया गया है, व्‍यवसाय कहलाता है। व्‍यवसाय एक व्‍यापक शब्‍द है जिसके अंतर्गत उत्‍पादन, वस्‍तुओं या सेवाओं को क्रय-विक्रय, बैंक, बीमा परिवहन, कंपनियाँ आदि आते हैं। व्‍यापार व पेशा भी इसी के अंतर्गत आते हैं।

लेन-देन Transaction - व्‍यवसाय में माल, मुद्रा या सेवा के पारस्‍तरिक व्‍यवहार या आदान-प्रदान को लेन-देन कहते हैं और ये सभी मुद्रा द्वारा मापे जाते हैं। चूँकि ये मुद्रा से संबंधित हैं इसलिए इनहें Financial Transaction भी कहते है।

इसमें मुद्रा का भुगतान तुरंत या भविष्‍य में हो सकता है। जब सौदे का तुरंत भुगतान किया जाता है तब वह नकद लेनदेन (Cash Transaction) कहलाता है और जब भुगतान भविष्‍य में किया जाता है तब उसे उधार लेन-देन (Credit Transaction)कहते है।

माल- माल उस वस्‍तु को कहते हैं जिसका क्रय विक्रय या व्‍यापार किया जाता है। माल के अंतर्गत वस्‍तुओं के निर्माण हेतु प्राप्‍त कच्‍दी सामग्री, अर्ध निर्मित सामग्री या तैयारी वस्‍तुएं भी हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए वस्‍त्र विक्रेता द्वारा खरीदा गया कपड़ा, शक्‍कर मिल द्वारा खरीदा गया गन्‍ना व निर्मित शक्‍कर, फर्नीचर के व्‍यापारी द्वारा फर्नीचर बनाने के लिए खरीदी गई लकड़ी व तैयार फर्नीचर, अनाज के व्‍यापारी द्वारा खरीदा गया अनाज उन व्‍यापारियों के लिए माल है।

क्रय- पुन: विक्रय के उद्देश्‍य यानी बेचने के उद्देश्‍य से व्‍यापार में खरीदा गया माल क्रय या खरीदी कहलाता है। व्‍यापार में माल को नकद या उधार खरीदा जा सकता है। जिसे Cash Purchase या Credit Purchase कहते हैं।

विक्रय- किसी भी व्‍यापार में कोई माल लाभ कमाने के उद्देश्‍य से बेचा जाता है तो यह Sales कहलाता है। व्‍यापार में माल को नकद या उधार बेचा जा सकता है जिसे Cash Sales या Credit Sales कहते है। नकद और उधार विक्रय को मिलकार कुल विक्रय यानी Total Sales को टर्नओवर कहा जाता है।

राजस्‍व- रेवेन्‍यु के आशय ऐसी राशि से है जो माल अथवा सेवाओं के विक्रय से नियमित रूप से प्राप्‍त होती है साथ ही व्‍यवसाय के दिन प्रतिदिन के क्रियाकलापों से प्राप्‍त होने वाली राशियाँ जैसे किराया, ब्‍याज, कमीशन, डिस्‍काउंट आदि भी रेवेन्‍यु कहलाते है।

आय- एक व्‍यक्ति या संगठन की आय अर्थात (Income) वह धन (Money) है जो वे कमाते हैं या प्राप्‍त करते है। वैसे आय एक व्‍यापक शब्‍द है। इसमें लाभ (Profit) भी शामिल है।

आय दो प्रकार की होती है:

1. प्रत्‍यक्ष आय- इसके अंतर्गत ऐसी सभी प्राप्तियाँ आती हैं जो हमारे मुख्‍य कार्य से प्राप्‍त होती है।

2. अप्रत्‍यक्ष आय- मुख्‍य व्‍यवसाय के अलावा जो भी इनकम होती है। वह अप्रत्‍यक्ष आय कहती है।

व्‍यय- एक व्‍यक्ति या संगठन का व्‍यय अर्थात Expenses वह धन है जो वे अपने काम के दौरान कुछ करते हुए खर्च करते है।

यह भी दो प्रकार का होता है।

1. प्रत्‍यक्ष व्‍यय - इसके अंतर्गत मुख्‍य कार्य से संबंधित जो भी सीधे खर्च होते हैं वे आते हैं जैसे व्‍यापार की स्थिति में यदि आप बेचने के लिए कुछ खरीदते हैं या खरीदे हुए माल पर सीधे कोई खर्च करते हैं तो उस पर जो धन खर्च होता है वह प्रत्‍येक व्‍यय यानी Direct Expenses कहलाता है।

2. अप्रत्‍यक्ष व्‍यय- इनका संबंध वस्‍तु के क्रय या उसके निर्माण से ना होकर वस्‍तु की बिक्री या कार्यालय व्‍यय से होता है। सरल शब्‍दों में कह सकते हैं मुख्‍य व्‍यवसाय से संबंधित जो भी सीधे खर्च होते है उनको छोड़कर शेष सभी खर्च इसके अंतर्गत आते हैं।

ब्‍याज- व्‍यापार में जब हम किसी से कर्ज़ (Loan) लेते हैं या फिर किसी को लोन देते हैं तो उस लोन राशि के उपयोग के बदले में लोन देने वाले का एक निश्चित दर से प्रतिफल के रूप में कुछ राशि देना पड़ती है जिसे ब्‍याज (Interest) कहते हैं। कई बार हम किसी सप्‍लायर से ज्‍यादा दिनों की उधारी पर माल खरीदते हैं तो उस लम्‍बी अवधि के लिए भी हमको ब्‍याज देना पड़ सकता है। इसके विपरीत यदि हमने किसी कस्‍टमर को लम्‍बी अवधि के लिए उधार माल बेचा तो उस पर भी हम ब्‍याज ले सकते है।

छूट (Discount)- व्‍यापारी द्वारा अपने ग्राहकों को दी जाने वाली छूट या रियात को ही डिस्‍काउंट कहते हैं। जब हमें किसी से डिस्‍टकाउंट प्राप्‍त होता है तो उसे Discount Received कहते हैं तथा जब किसी को डिस्‍काउंट दिया जाता है। तो उसे Discount Allowed/Given कहा जाता है।

यह डिस्‍काउंट दो प्रकार का हो सकता है।

1. व्‍यापारिक बट्टा- व्‍यापारी माल बेचने समय ग्राहक को माल के मूल्‍य में कुछ राशि कम करता है या बिल की राशि में से कुछ राशि कम करता है, इस तरह की छूट को बिल में ही कम कर दिया जाता है, इसे ही Trade Discount कहते हैं। प्राय: यह छूट ग्राहकों को अधिक माल खरीदने के लिए प्रेरित करने के लिए दी जाती है।

2. नकद बट्टा- व्‍यापारिक चलन के अनुसार प्रत्‍येक ग्राहक को एक निश्चित अवधि में भुगतान करने की सुविधा प्रदान की जाती है। अगर ग्राहक निश्चित अवधि के पहले ही भुगतान कर दे तो उसे कुछ छूट दी जाती है। जिसे Cash Discount अर्थात् CD भी कहा जाता है।

कमीशन- जब किसी व्‍यक्ति अथवा संस्‍था को किसी का काम करने, जैसे कुछ खरीदने या बेचने में सहायता देने या अन्‍य कोई काम करने के प्रतिफल स्‍वरूप कुछ पारिश्रमिक मिलता है तो उसे कमीशन कहते हैं। कई बार विक्रेता अपने कर्मचारियों को सेल बढ़ाने के लिए प्रोत्‍साहित करने के लिए भी तनख्‍वाह के साथ इस तरह का कमीशन देता है, यह पारिश्रमिक साधारणया निश्चित प्रतिशत से दिया जाता हैपर कभी-कभी यह निश्चित राशि में भी दिया जा सकता है।

सेवा - वर्तमान में सेवा का अर्थ बड़ा व्‍यापक हो गया है। अपने व्‍यवसाय में हम कई प्रकार की सेवाओं का उपयोग/ उपभोग करते हैं। जैसे हम अपने कम्‍प्‍यूटर सप्‍लायर से अपना कम्‍प्‍यूटर सुधारवाते हैं या कम्‍प्‍यूटर में कोई नया सॉफ्टवेयर इंस्‍टॉल्‍ करवाते हैं तो ये उसके द्वारा दी गई सेवाएँ हैं/। इसी तरह मान लीजिए हमने किसी इलेक्‍ट्रीशियन से अपने यहाँ AC ठीक करवाया तो यह भी उसके द्वारा दी गई सर्विस है।

ग्राहक- हम जिसे माल बेचते हैं वह हमारा Customer कहलाता है।

विक्रेता- हम जिससे माल खरीदते हैं उसे Supplier कहते हैं।

खाता क्‍या होता है ? तथा खातों के प्रकार

खाता (Account)- जब किसी व्‍यक्ति विशेष, वस्‍तु, सेवा या आय-व्‍यय इत्‍यादि से संबंधित समस्‍त लेनेदेन एक निश्चित स्‍थान पर तिथिवार और नियमानुसार रखे जाते हैं तो उसे उसका खाता (Account) कहते हैं।

👉 किसी भी खाते के दो पक्ष होते हैं-

1. Debit Side (नाम पक्ष)
2. Credit Side (जमा पक्ष)

Debit Side बायीं तरफ होतो है और Credit Side दायीं तरफ होता है।

खातें तीने प्रकार के होते है-

व्‍यक्तिगत खाते - (personal Accounts)- व्‍यक्ति, संस्‍था या उनके प्रतिनिधि से संबंधित खातों को व्‍यक्तिगत खाते कहते हैं।

इन्‍हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है-

प्राकृतिक या स्‍वाभाविक खाते (Natural Personal Accounts)- सृष्टि के सृजन के द्वारा व्‍यक्ति बना है। यह प्रकृति प्रदत्‍त है। अत: सभी व्‍यक्तियों के नाम से संबंधित खाते जैसे राम, श्‍याम, मोहन, व्‍यापार के स्‍वामी का पूंजी खात, इत्‍यादि खाते इसी श्रेणी में आएंगे।

कृत्रिम खाते (Artificial Personal Accounts)- कृत्रिम खातों में व्‍यवसाय से जुड़ी हुई निगम व संस्‍थाओं से संबंधित खाते आते हैं, जैसे- बीमा, बैंक, व्‍यापारिक संस्‍था, सभी देनदार व लेनदार इत्‍यादि।

प्रतिनिधित्‍व खाते (Representative personal Accounts)- प्रतिनिधित्‍व खाते व्‍यक्ति या समूह का प्रतिनिधित्‍व करते हैं जैसे अदत्‍त (Outstanding) वेतन का खाता जो उस कर्मचारी के खाते का प्रतिनिधित्‍व करता है जिसकी Salary Due हो चुकी है यानी देना थी पर नहीं दी गई, सिर्फ उसका प्रोविजन कर लिया गया है।

वास्‍तविक खाते (Real Accounts) -

ऐसे खाते जो अधिकार (Rights) और संपत्ति (Assets) से संबंधित होते हैं वास्‍तविक खाते कहलाते हैं। इन्‍हें दो श्रेणियों में बांटा गया है-

मूर्त खाते (Tangible Real Accounts)- जिन संपत्तियों को छुक जा सके उन्‍हें मूर्त संपत्ति कहते हैं और इनके खातों को मूतर् खाते, जैस- बिल्डिंग अकाउंट, फर्नीचर अकाउंट, व्‍हीकल अकाउंट, मशीनरी अकाउंट, कैश इत्‍यादि।

अमूर्त खाते (Intangible Real Account)- जिन संपत्तियों को छुआ न जा सके उन्‍हें अमूर्त संपत्तियां कहते हैं और इनके खातों को अमूर्त खाते। जैसे- गुडविल, ट्रेडमार्क, पेटेंट्स, कॉपीराइट्स इत्‍यादि।

नाममात्र के खाते (Nominal Accounts)

ऐसे खाते जो इनकम एंड एक्‍सपेंसेस तथा प्रॉफिट एंड लॉस से संबंधित होते हैं नॉमिनल अकाउंट कहलाते हैं। जैसे- कि परचेज़ अकाउंट, सेल्‍स अकाउंट, इंटरेस्‍ट अकाउंट, डिस्‍काउंट अलाउड, डिस्‍काउंट रिसीव्‍ड, सैलेरी अकाउंट, डेप्रिसिएशन अकाउंट, एडवरटाइजमेंट एक्‍सेपेंसेस, इंश्‍योरेंस अकाउंट इत्‍यादि।

इस तरह के खातों की अविध मात्र एक वर्ष रहती है। वर्ष के अंत में इस तरह के सभी खातों को ट्रेडिंग एंड प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट में ट्रांसफ करके बंद कर दिया जाता है।

गोल्‍डन रूल्‍स ऑफ अकाउंटिंग क्‍या है ? अकाउंटिंग से संबंधित शब्‍दों की परिभाषा

जब कोई ट्रांजैक्‍शन होता है तो सबसे पहले देखा जाता है कि ट्रांजैक्‍शन में प्रभावित होने वाले दोनों खाते (Accounts) कौन से हैं और किस प्रकार के हैं फिर कुछ नियमों, जिन्‍हें गोल्‍डन रूल्‍स ऑफ अकाउंटिंग कहते हैं, के अनुसार किस खाते को डेबिट और किस खाते को क्रेडिट करना है यह निर्णय करना होता है।

गोल्‍डन रूल्‍स ऑफ अकाउंटिंग-

1. व्‍यक्तिगत खातों के लिए नियम (Rule for Personal Accounts)

✊ पाने वाले को डेबिट करो। (Debit The Receiver)
✊ देने वाले को क्रेडिट करो। (Credit the Giver)

2. वास्‍तविक खातों के लिए नियम (Rules of Real Accounts)

✊ जो वस्‍तु व्‍यापार में आए, उसे डेबिट करो। (Debit what comes in)
✊ जो वस्‍तु व्‍यापार में जाए, उसे क्रेडिट करो। (Credit what goes out)

3. नाममात्र के खातों के लिए नियम (Rules for Nominal Accounts) -


✊सभी खर्च एवं हानियों को डेबिट करों (Debit all Expenses and Losses)
✊सभी आमदनी एवं लाभों को क्रेडिट करो। (Credit all Incomes and Gains)

अकाउंटिंग से संबंधित शब्‍दों की परिभाषा-

हानि(Loss)- जब व्‍यय/ खर्च (Expenses) राजस्‍व(Revenue) से अधिक होते हैं तो व्‍यय का आधिक्‍य यानी ज्‍यादा खर्च, हानि कहलाता है जो पूँजी में वृद्धि की बजाय कमी करता है।

उदाहरण- हमें रिवेन्‍यु के रूप में 10,000 रूपये प्राप्‍त हुए और इस रेवेन्‍यु को प्राप्‍त करने के लिए हमने 12,000 रूपये खर्च कर दिये, अर्थात् 2000 रूपये की हानि हुई। पूँजी पर इसका प्रभाव यह होगा कि पहले हमारी पूँजी 1,00,000 रूपये थी जो अब 2000 रूपये घटाकर 98,000 रूपये रह गई।

लाभ (Profit)- जब राजस्‍व (Revenue),व्‍यय (Expenses) से अधिक होता है तो राजस्‍व कि अधिकता लाभ कहलाती है। यह एक प्रकार मौद्रिक प्राप्ति है, जो व्‍यवसाय के व्‍यवहार के फलस्‍वरूप प्राप्‍त होती है।

उदाहरण- हमें रिवेन्‍यु के रूप में 2,00,000 रूपये प्राप्‍त हुए और इस रेवेन्‍यू को प्राप्‍त करने के लिए हमने 1,50,000 रूपये हमारा लाभ (Profit) कहलाएगा। पूँजी पर इसका प्रभाव यह होगा कि पहले हमारी पूंजी 1,00,000 रूपये थी जो जब 50,000 रूपये से बढ़कर 1,50,000 रूपये हो गई है।

आमदनी (Gain)- हमारे मुख्‍य व्‍यवसाय से प्राप्‍त होने वाले राजस्‍व को छोड़कर यदि अन्‍य कोई राजस्‍व प्राप्‍त होता है तो उसमें मूल लागत कम करने के बाद जो बचता है वह Gain कहलाता है।

उदाहरण- हमारी कोई संपत्ति, जिसका बहीखातों में मूल्‍य 8000 रूपये था, उसे हमने 10,000 रूपये में बेचा यानी हमें 2000 रूपये की प्राप्ति हुए, यह प्राप्ति आमदनी (Gain) कहलाएगी।

तो आपसे गुजारिश हैं, 🙏 सभी Tally Prime kya hai ? Introduction of Tally Prime in Hindi  ध्यानपूर्वक पढ़ें। 
 
इसलिए यदि आप एकाउंटिंग के क्षेत्र में जॉब प्राप्‍त करना चाहते हो, तो आपको Tally(टैली) की जानकारी होना अति आवश्‍यक है। किसी भी व्‍यवसाय में Accounting (एकाउंटिंग) बहुत ही अहम कार्य है, क्‍योंकि इसी के आधार पर व्‍यवसाय के लाभ-हानि के बारे में जानकारी प्राप्‍त होती है।

केवल पढ़ें नहीं, समझना कर, कमेंट बॉक्‍स में Comment भी जरूरी हैं।☺


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